पौधा किस्मों, कृषकों व पादप प्रजनकों के अधिकारों की रक्षा तथा पौधों की नई किस्मों के विकास को प्रोत्साहित करने के लिए एक प्रभावी प्रणाली की स्थापना हेतु यह आवश्यक समझा गया कि कृषकों के नई पौधा किस्मों के उपलब्ध पादप संसाधनों के विकास, उन्हें सुरक्षित करने व उन्हें सुधारने की दिशा में उनके द्वारा किए गए किसी भी समय, किसी भी प्रयास को मान्यता प्रदान करने के लिए कृषकों के अधिकारों की रक्षा की जाए। इसके अतिरिक्त कृषि विकास में तेजी लाने के लिए प्रजनकों को अधिकार प्रदान करना भी आवश्यक है, ताकि नई पौधा किस्मों के विकास के लिए अनुसंधान एवं विकास में निवेश को प्रोत्साहित किया जा सके।
इस प्रकार की सुरक्षा से बीज उद्योग के विकास में सुविधा होगी जिससे कृषकों को उच्च गुणवत्तापूर्ण बीज व रोपण सामग्री की उपलब्धता सुनिश्चित होगी। भारत ने बौध्दिक सम्पदा अधिकारों के संदर्भ में व्यापार से संबंधित पहलुओं पर हुए समझौते को समर्थन प्रदान किया है और इस समझौते को प्रभावी बनाने के लिए आवश्यक प्रावधान किए हैं। उपरोक्त उद्देश्यों को प्रभावी बनाने के लिए भारत में पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण अधिनियम,2001 लागू हुआ।
इस अधिनियम के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण की स्थापना हुई जो एनएएससी कॉम्प्लैक्स, डीपीएस मार्ग, निकट टोडापुर, नई दिल्ली-1100012 में स्थित है।
राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र द्वारा डिजाइन और विकसित की गई है।
यह वेबसाइट पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण,
कृषि और कृषक कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार से संबंधित है।